Thursday 5 August 2010

एक तलाश जिंदगी की ....

एक तलाश जिंदगी की, कि तुझे पाऊँ...
तुझे ढूँढने के लिए मैं कहाँ जाऊँ
तुझे तराशा मैंने हर जगह, पर मिला नहीं कहीं
दुनिया की आपाथापी में गुम हो गए यहीं कहीं
अब भी लगता है कि तुम हो शायद यहीं कहीं
अपने को समझाया मन पर अंकुश लगाया
फिर छटपटा कर मन ने सोते हुए को जगाया
और लग गया तुझे तलाशने की ख्वाहिश में
पर तेरा दीदार न हुआ इस कल्पना की दुनिया में
आज फिर यहीं से जारी है मेरी तलाश
कि पा जाऊं तुझे मैं बस एक बार
फिर वही तलाश जिंदगी की, कि तुझे पाऊँ

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