अपने हाल-ए-दिल को कैसे बयां करूँ,
जिसको बताया उसने कहा, तेरे दर्द को कैसे दूर करूँ
तभी सुनी एक ने दास्तां मेरी, और नम हुई आंख उसकी...
दोस्त, क्यों भर आई तुम्हारी आंखें, अभी तो दास्तां शुरू भी नहीं हुई
उसने कहा जब दर्द है तेरी दास्तां के आगाज, में तो इसका अंजाम क्या होगा,
तभी मैंने अपना हाल-ए-दिल सुनाया, और उसे अपना बनाया।।
Wednesday 30 June 2010
Tuesday 29 June 2010
तूने मुझे क्या से क्या बना दिया...
तेरी दोस्ती को समर्पित.......
तूने मेरे सोये मन को जगा दिया....
जाने क्या तूने पिला दिया
मेरा अंतर तक हिला दिया,
नदिया की धारा बनकर,
मुझ किनारे पर ला दिया,
तूने मुझे एक नये व्योम पर ला दिया,
मेरे एकाकीपन को दूर कर...
मुझे दीवाना बना दिया,
जाने क्या तूने पिला दिया...
मेरा अंतर तक हिला दिया,
मेरे तनहा आलय को, मदिरालय बना दिया,
साकी बनकर तूने मुझे ये क्या पिला दिया,
मेरा अंतर तक हिला दिया,
तूने मुझे क्या से क्या बना दिया ।।
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